Dashrath Manjhi

dashrath manjhi

Introduction to Dashrath Manjhi (Mountain Man)

Dashrath Manjhi (1934-2007) बिहार के गया जिले के गहलौर गांव के एक गरीब मजदूर थे, जिन्होंने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति और समर्पण से पहाड़ को काटकर रास्ता बना दिया।

उन्हें “माउंटेन मैन” के नाम से जाना जाता है। उनका जीवन संघर्ष, प्यार, और दृढ़ता की मिसाल है।

Table of Contents

प्रारंभिक जीवन

dashrath manjhi

जन्म: 14 जनवरी 1934, गहलौर, बिहार

जाति: मुसहर (दलित समुदाय)


दशरथ मांझी का जीवन गरीबी और सामाजिक भेदभाव से भरा हुआ था। उनके गांव में मूलभूत सुविधाओं का अभाव था, खासकर चिकित्सा और शिक्षा।

Dasrath Manjhi ke Sath घटना जिसने जीवन बदल दिया

गहलौर गांव एक बड़े पहाड़ से घिरा हुआ था, जिसके कारण गांव के लोग नजदीकी कस्बे तक नहीं जा पाते थे।

एक बार दशरथ मांझी की पत्नी फगुनी देवी बीमार पड़ गईं। पहाड़ की वजह से समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई।

इस घटना ने दशरथ मांझी को गहराई से प्रभावित किया, और उन्होंने ठान लिया कि वे अकेले इस पहाड़ को काटकर रास्ता बनाएंगे।

पहाड़ को काटने का संकल्प

Dasrath Manjhi ने 1960 में केवल एक हथौड़ी और छेनी से पहाड़ को काटना शुरू किया।

समय: 22 साल (1960-1982)

परिणाम: उन्होंने 360 फीट लंबा, 25 फीट ऊंचा और 30 फीट चौड़ा रास्ता बना दिया।

इस रास्ते ने गहलौर गांव को वज़ीरगंज कस्बे से जोड़ दिया, जिससे दूरी 55 किलोमीटर से घटकर मात्र 15 किलोमीटर रह गई।

Dasrath Manjhi Ka सामाजिक संघर्ष

dashrath manjhi

Dasrath Manjhi को इस काम के दौरान गांव के लोगों ने पागल कहा और उनका मजाक उड़ाया।

बिना किसी सरकारी सहायता के, उन्होंने अपना संकल्प पूरा किया।

सम्मान और मान्यता

हालांकि Dasrath Manjhi को उनके जीवनकाल में बहुत संघर्ष करना पड़ा, लेकिन उनके कार्य को बाद में पूरी दुनिया ने सराहा।

बिहार सरकार ने उनके निधन के बाद उन्हें राजकीय सम्मान दिया।

2015 में उनके जीवन पर आधारित फिल्म “मांझी: द माउंटेन मैन” रिलीज हुई, जिसमें नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने उनका किरदार निभाया।

प्रेरणा और विरासत

Dasrath Manjhi का जीवन हमें यह सिखाता है कि यदि इंसान में दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो वह असंभव को भी संभव कर सकता है। उनका संकल्प और संघर्ष आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायक रहेगा।

उक्तियाँ:

 

भगवान के भरोसे मत बैठो, क्या पता भगवान हमारे भरोसे बैठा हो।

 

मृत्यु: 17 अगस्त 2007, लंबी बीमारी के कारण।

दशरथ मांझी आज भी साहस, मेहनत और आत्मनिर्भरता की मिसाल बने हुए हैं।

Tipu Sultan

Book Mini Truck Online 

Facebook
Twitter
LinkedIn
WhatsApp

5 thoughts on “Dashrath Manjhi”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *