Tipu Sultan
Tipu Sultan (1751-1799) एक महान योद्धा, कुशल शासक और स्वतंत्रता सेनानी थे। उन्हें “मैसूर का शेर” के नाम से जाना जाता है।
उनका योगदान भारत में औपनिवेशिक विरोध और सामाजिक न्याय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
वे बहुजन समाज के गौरवशाली नायक थे, जिन्होंने अपने शासनकाल में सभी वर्गों के उत्थान के लिए काम किया।

प्रारंभिक जीवन
जन्म: 20 नवंबर 1751, देवनहल्ली (अब कर्नाटक में)
पिता का नाम: हैदर अली (मैसूर के शासक)
माता का नाम: फकर-उन-निसा
tipu sultan ने अपनी शिक्षा और युद्ध कौशल अपने पिता के मार्गदर्शन में प्राप्त किया। वे एक बहु-भाषाविद थे और उन्होंने विज्ञान, गणित, और सैन्य रणनीतियों में महारत हासिल की।
शासन और प्रशासन
tipu sultan ने 1782 में अपने पिता हैदर अली की मृत्यु के बाद मैसूर की गद्दी संभाली। उनका शासनकाल (1782-1799) कई सुधारों और नीतियों के लिए प्रसिद्ध है:
जमींदारी प्रथा का अंत
उन्होंने किसानों की स्थिति सुधारने के लिए जमींदारी प्रथा को समाप्त किया और भूमि सुधार किए।
धर्मनिरपेक्ष शासन
टीपू ने हिंदू और मुसलमान दोनों धर्मों के प्रति समान आदर रखा। उनके दरबार में सभी धर्मों के लोग महत्वपूर्ण पदों पर थे। उन्होंने मंदिरों को अनुदान दिया और उनकी रक्षा की।
आर्थिक सुधार
टीपू सुल्तान ने रेशम उत्पादन और व्यापार को प्रोत्साहित किया। उनकी आर्थिक नीतियों ने मैसूर को समृद्ध बनाया।
वैज्ञानिक सोच और आधुनिकता
वे विज्ञान और प्रौद्योगिकी के प्रति गहरी रुचि रखते थे। उन्होंने अपने समय की आधुनिक युद्ध तकनीकों को अपनाया और भारत में पहली बार रॉकेट तकनीक का इस्तेमाल किया।
ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ संघर्ष

Tipu Sultan ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के विस्तार का डटकर विरोध किया। उन्होंने चार एंग्लो-मैसूर युद्धों (1767-1799) में अंग्रेजों को कड़ी चुनौती दी।
चौथा युद्ध: 4 मई 1799 को श्रीरंगपट्टनम में अंग्रेजों के साथ लड़ाई करते हुए टीपू शहीद हो गए। उनकी बहादुरी और बलिदान ने उन्हें भारत के स्वतंत्रता संग्राम का अग्रदूत बना दिया।
सामाजिक न्याय और बहुजन नायक
Tipu Sultan बहुजन समाज के उत्थान के लिए प्रतिबद्ध थे:
उन्होंने जातिगत भेदभाव का विरोध किया और दलित, पिछड़े वर्गों को समर्थन दिया।
उनके शासन में सभी जातियों को समान अवसर दिए गए।
विरासत
टीपू सुल्तान का योगदान केवल एक योद्धा तक सीमित नहीं था। वे एक प्रेरणादायक नेता और प्रगतिशील शासक थे। आज भी बहुजन समाज उन्हें एक नायक के रूप में याद करता है।
उनके द्वारा इस्तेमाल की गई रॉकेट तकनीक को बाद में अंग्रेजों ने अपने सैन्य अभियानों में शामिल किया।
उनके नाम पर कई स्मारक और संस्थान स्थापित हैं।
प्रेरणा:
टीपू सुल्तान की कहानी सिखाती है कि साहस, समानता, और समाज के लिए निष्ठा से काम करके एक आदर्श शासक बना जा सकता है। उनका जीवन आज भी बहुजन समाज और भारत के लिए प्रेरणा है।
Pingback: Dashrath Manjhi -